Monday 19 September 2016

कश्मीर के उस पार

इंसानियत ने रोक रखा हमे ,
वरना तुम जैसे कायरों  को कुचलना हमे खूब आता है ।
अगर ठान लिया हमने तो ,
सहम आहट भर से जाओगे  इतना डराना  हमे आता है ।

Friday 16 September 2016

कैसे कह देता अलविदा ...

कैसे कह देता अलविदा तुमसे ,
एक  अधूरी बात जो बाकि है ।

जो सामने कह नहीं सका कभी तेरे,
दिल में कहीं वो एहसास बाकि है ।

जिससे खुद मैं भी रूबरू नहीं ,
अंजान तुम भी थे अब तक  ,
आज भी तुमसे जिन्दा मुझमे कही वो इंसान बाकि है ।

कैसे कह देता अलविदा तुमसे ,
एक  अधूरी बात जो बाकि है ।

नहीं आता समझ मुझको ,
बिन तेरे बाद सदियों के भी ,
क्यों खामोशियों में उलझी इक जान  बाकि है ।

जो तुझको महसूस भर है ,
जिसे हर पल मै लड़ता रहा ,
बाद इतने तूफानों के मेरी जिंदगी में इक और तूफान बाकि है ।

कैसे कह देता अलविदा तुमसे ,
एक  अधूरी बात जो बाकि है ।

भूल गया खुदा को ,
जहां को भुला दिया ,
जुबान पर आज भी बस तेरा ही इक नाम बाकि है ।

बाद सदियों के फासलो से भी ,
जो  मिट नहीं पाया,
तुजसे होकर गुजरती उसी  राह में मेरा आखिरी अंजाम  बाकि है ।

कैसे कह देता अलविदा तुमसे ,
एक  अधूरी बात जो बाकि है ।

हर रोज निकल पड़ता ,
उसी पुरानी राहों में मै,
तुझे पाने की आज भी एक लड़खड़ाती आस बाकि है ।

पास सागर के होके भी  भी  ,
प्यासा मैं रह गया   ,
कुछ ऐसी ही एक अनबुझी से मुझमे प्यास बाकि है ।

कैसे कह देता अलविदा तुमसे ,
एक  अधूरी बात जो बाकि है ।

वक़्त का खेल

तुम बिछड़ जाओगे मिलकर,  इस बात में कोई शक़ ना  था ! मगर भुलाने में उम्र गुजर जाएग, ये मालूम ना  था !!