Friday 24 November 2017

ये सही कैसे???

ये एक सफ़र है,
जिंदगी कुछ और नही है ,
किसी एक मोड़ पर ठहर जाना,
जिंदगी में सही कैसे?

तुम गलत नही  हो तो ,
मैं भी गलत नही हूँ ,
हर कोई आ गया इस मैं और तुम में,
फिर कोई और गलत कैसे?

हर रोज कुछ साँसे कम हो जाती है,
इस छोटी सी ज़िन्दगी में,
उसमे भी सही गलत का खेल खेलना, 
कोई बताये ये सही कैसे?

कोई दिल मे छुपा कर बैठा है,
तो कोई यादों में सजाकर बैठा है,
बिना बोले हर रोज तुम्हारा यू मरे जाना ,
तुम ही बोलो ये सही कैसे ?

कौन???

जिस दर्द से तुम अनजान हो ,
जिसकी वज़ह से मैं तन्हा ही हर बार  रोया हूँ,
मेरे उन आँशुओ की कीमत को ,
अदा करेगा कौन?

तुझे मैं माफ़ नही करूँगा,
इसमे तो मुझे भी अब शक़ नही है ,
देखना है कि बस कितनी और कब ,
तेरी सजा तय करेगा कौन ?

अब डर उजाले से लगने लगा है ,
अंधेरे  को कुछ कहना अब वाज़िब ना रहा ,
कोई बता दे इस डर से मुझे अब,
जुदा करेगा कौन?

दुआ में जिंदगी माँगू या मौत ,
मेरे हालात यहाँ तक आ पहुँचे अब तो,
हालात बदल दे कोई ऐसी लड़ाई मेरे लिये अब ,
ख़ुदा से लड़ेगा कौन?

जिंदा तो मैं आज भी हूँ ,
मगर मौत की ख्वाहिश हर रोज होती है ,
बता दो ,मौत के आख़िरी मोड़ पर ही सही ,
मुझे फिर से जिंदा करेगा कौन?

Monday 9 October 2017

तेरी कमियाँ..

जिन्हें भूल जाना ही बेहतर है ,
तेरी उन कमियों को हम ,
अक़्सर रेत पर लिखा करेंगे,
कभी वो हवाओं से मिट जाएंगे ,
तो  कभी किसी के कदम उन्हें छुपा जाएंगे ।

फ़िक्र ना कर दूरियो की जो हमारे  दर्मियाँ हैं, 
जो लकीरे मिलकर हमने,
दिल की दीवारों पर खिंची हैं,
जिन्हें मोहब्बत से हमने सींचा है,
उन्हें फासलों से जन्मे तूफान भला क्या मिटा पाएंगे।

कभी अलग हुए हम तो ,
उड़ते बादलों से तुम हर बार कह देना,
लफ़्ज़ों के संग तुम्हारे अश्कों को,
वो अपनी बूंदो में छुपाकर ,
तुम्हारे हलात के हर तस्वीर को  मुझ तक पहुचा जाएंगे ।


























Wednesday 27 September 2017

किसी ने पूछा...

किसी ने पूछा मुझसे ख़ुदा देखा है तुमने ,
मैंने कहा,
जिसका चेहरा मेरी बन्द पलकों पर हर बार यु ही उभर आता है ,
जिसके  पास होने भर से जिंदा होने का  एहसास फिर से हो जाता है ,
वो मेरे लिए ,
ख़ुद खुदा से कम तो नही है ।
जिसकी जरूरत  दिल के हर बार धड़कने पर सांसों सी महसूस होती है ,
हर सफर में ना ही सही ,मगर हर मंजिल पर जिसकी  जरूरत होती है,
वो मेरे लिए ,
ख़ुद खुदा से कम तो नही है ।

Friday 15 September 2017

वफ़ा

कभी वफ़ा समझ ना आये तो ,
साँसों से गुफ़्तगू में ही पूछ लेना ,
ये क्यों थम जाती हैं हर बार ,
जान जाने के बाद।

वक़्त का खेल ..

जिन पे ख़ुद से भी ज्यादा यक़ीन था,
वही बैठे है मेरे दुश्मन की मफ्फिल में ,
अब दुश्मन की तारीफ  या ,
उनसे खुद जाकर शिकायत करूँ मैं ।

मैंने खोया या उन्होंने मुझको ,
ये हम फिर कभी सोचेंगे ,
अभी सवाल इतना सा है की ,
उनकी मोहब्बत की तौहीन ,
या दिल से लगाकर हिफाज़त करूँ मैं।

Saturday 9 September 2017

क्यों लगता है ...

क्यों लगता है देख कर तुझको ऐसा,
जैसे  तुझे पाने के  लिए ही ,
कई जन्मों से चलता रहा हूँ मैं
जैसे कुछ वक्त बिताने के लिए ,
कई सदियों से जगता रहा हूँ मैं ।

क्यों लगता है देख कर तुझको ऐसा,
जैसे तुझे याद रखने के लिए ,
अब तक सब कुछ भुलाता रहा हूँ मैं ।
जैसे अब भी बैठ कर किनारे पर तन्हा,
गीत वही तेरे लिए गुनगुनाता रहा हूँ मैं।

क्यों लगता है देख कर तुझको ऐसा,
जैसे अपने लिए ही मैं अब तक ,
तुझको दुनियाँ से बचाता रहा हूँ मैं ,
जैसे महल तेरे खुशियों का ,
हर रोज़ दुआवों में ही सजाता रहा  हूँ मैं ।

Monday 7 August 2017

मुसाफ़िर

ये जहां भी एक खुदा को नही मानता , तुम तो सिर्फ उसे ही अपना खुदा मान बैठे हो ।
मुसाफ़िर तुम कितने नादान हो  , तुम जो उड़ते बादलों को आसमान मान बैठे हो ।

Friday 4 August 2017

वक्त और तूफ़ान

ये जो छायी अजीब सी शांति है,
इतना शोर क्यों मचा रही है ।
कोई पूछे ख़ुदा से की ,
क्या कोई जिंदगी में  तूफ़ान आने वाला है ?

सफ़र में हर मुसाफ़िर सहमा सहमा सा है ,
वो भी रो रो कर कुछ कह रही है ,
कैसे संभालू अब मैं तुमको वक्त का मकान आने वाला है ।

Sunday 9 July 2017

ख़ुद खोजता मुसाफ़िर हूँ ..


ग़म की राहों  पर अज़नबी सा चलकर ,
खुशियों की तलाश करता रहा हूँ  मैं | 
खोया था जिनको पहले  कभी ,
कभी उनको तो कभी  ख़ुद को तलाश करता हूँ मैं | 


Friday 7 July 2017

कुछ और बाकी है ?


कुछ भी तो ना रहा ,
जो बच गया हो मुझसे ,
और तुझे भुलाने के लिये जिससे होकर ना गुजरा हो  ,
अब तो बस ,
आखिरी साँस टूटने की आस बाकी है ।
पूछुंगा मैं,
अगर वो मिल जाये,
क्या कोई दर्द और भी रह गया ,
मैंने जिसे जिया ही नहीं ,
और जिसका एहसाह बाकी है।

Saturday 10 June 2017

आकर तेरे शहर में...

आकर तेरे शहर में ,
मैं हर किसी से तेरा पता पूछता हूँ।
हवाओं ने छू कर बोला,
तुम आँखे बंद कर लो,
और चलो मेरे साथ ,
मैं  तुमको पहुँचा उनकी गली में देता हूँ ।
बाद सदियों के ,
मैं उनके शहर आया हूँ ,
इस हाल में वो क्या पहचान मुझे लेंगे ,
ऐ हवा मैं बस यही सोचता हूँ।
उन्होंने बादलों पर लिखा था ,
तुम्हारे आने की खबर को ,
हो ना यकीन मुझ पर अगर,
चलो मैं तुम्हें मिला बादलों से देता हूं ।
मैं आज भी जिंदा हूँ ,
उनके दिल के कोने में कही ,
कौन कहता है की दूरियाँ ,
मोहब्बत को दफना देती हैं ,
मिला दो उनसे मुझे ,
मैं उनको अपनी दास्तां ए मोहब्बत सुना देता हूँ।
ऐ  हवा कुछ तो बताओ मुझे उनके बारे में ,
क्या आज भी वो तन्हा ,
उन्ही सीढ़ियों पर बैठते हैं ,
दूर ना जाने क्या बहुत देर तक देखते हैं,
बैठा ले मुझको पंखों पर ,
अब मैं  खुद ही सबकुछ देख लेता हूँ  ।
पता है हवा तुमको ,
पहले मैं ऐसा ना था ,
अब ना जाने क्या बन गया। हूँ ,
खुद से नफरत होती है मुझे ,
आज बता कर सब कुछ अपने खुदा से ,
मैं खुद को आज बदल देता हूँ ।
जो किसी से नही बताया मैन ,
जो मिल कर उनसे बयां मुझे करना है ,
ना जाने कितने दाग है मेरे व्यतित्व पर,
जो उनके ना होने से मुझ पर लगा है ,
आज अपने अंशुओ से मैं धूल देता हूँ।

Thursday 1 June 2017

जुनून ...

इतनी मोहब्बत करूँगा ए मोहब्बत तुझे  ,की खुद को खुदा समझ बैठोगी ।
अगर वफ़ा कर नही पायी तो मेरे वफ़ा को तुम अपनी सजा समझ बैठोगी  ।

किस तरफ कोई जाए ..

कितना वक्त गुजर गया,
तुम कितने दूर आ गए  ,
फिर भी बीच राह में पीछे कही ,
यादों की खंडहर में ठहरे  हुए लगते हो ।
बीच साहिल में नाविक सा,
जिसका हर कोई  दो किनारों पर जा पहुँचा   ,
रिश्तों के इस भवँर में,
सिर्फ तुम ही खोये हुए लगते हो ।

Monday 22 May 2017

मुश्किल होता है...

वक़्त के सागर में,
डर कर यादों के तूफानों से ,
कस्तियों से तन्हा पार करना मुश्किल होता ।

अगर मिल जाता साथ तेरा  ,
मेरी मोहब्बत की कश्ती में ,
फिर किसी लहर को हमे डूबाना मुश्किल होता ।

तेरे शहर में...

तेरे शहर  में आकर मुझे ,
हर कोई तुझ सा क्यों दिखता है ।
तू कहीं खुदा तो नही है ,
मुझे तो ये तेरे इश्क़ का असर लगता है।

कोई तेरी राह देख रहा है ...

जब परेशानियों से हार कर ,
जिंदगी के खेल से तंग आकर ,
मौत को गले लगाने का दिल चाहे ,
तो याद रखना ,
कोई तेरी राह देख रहा है ।

चलते चलते यू ही तन्हा राहों में ,
बाद गिरने के ठोकरें खा कर ,
अगर ठहर वही जाने को दिल चाहे,
तो याद रखना ,
कोई तेरीे राह देख रहा है ।

यू किसी अजनबी का साथ पाकर ,
जो होती ही नही उन खुशियों के लिए ,
अपनों को ही भुला देने को दिल चाहे ,
तो याद रखना ,
कोई तेरी राह देख रहा है ।

मैं सागर हूँ तो तू कस्ती सी मुझमे ,
किसी को उड़ते हुए देख कर  ,
खुद बनके पंछी उड़ जाने को जी चाहे  ,
तो याद रखना,
कोई तरी राह देख रहा है ।

राहे बहुत है छोटी सी जिंदगी में ,
हर राह में ना जाने कितने मोड़ होंगे,
घबड़ाकर इतने मोड़ से लौट जाने को दिल चाहे ,
तो याद रखना ,
कोई तेरी राह देख रहा है ।

Sunday 21 May 2017

तुझे खुशी मिले...

तेरे मोहब्बत को कैसे मैं भूल जाऊं ,
कैसे मैं तेरे आशुओं को अदा करूँ,
खुदा से दुआ करूँगा की  ,
ख़ुशियों का पूरा ,
एक आसमान मिल जाये  तुमको  ।

जिसमे कोई अपना ही तेरी तंहाई में तारा बन जाये  ,
तो कोई अंधेरी राहों में चाँद सा चमक जाए  ,
मैं भी रहूँ तेरे ऐसे अपनों में एक ,
अपनों से भरा ऐसा ही ,
एक जहां मिल जाये तुमको  ।

Saturday 20 May 2017

हाँ मुझे मोहब्बत है ...

तेरे खुशियों में खुद की खुशियों को पाना ,
तेरे संग जिये हर लम्हें का बहुत याद आना ,
ये मोहब्बत नही तो क्या है ?
हाँ मुझे मोहब्बत है ।
मुझे सिर्फ तुमसे मोहब्बत है ।

संग तेरे जिंदगी का पहले से हसींन हो जाना ,
बिन तेरे जीने का एक पल भी  ना सोच पाना ,
ये मोहब्बत नही तो क्या है ?
हाँ मुझे मोहब्बत है ।
मुझे सिर्फ तुमसे मोहब्बत है ।

हर बार तेरे नाम आने पर मेरा छुप कर मुस्कराना ,
तेरे चेहरे की एक सिकन पर पूरे जहाँ से मेरा लड़ जाना,
ये मोहब्बत नही तो क्या है ?
हाँ मुझे मोहब्बत है ।
मुझे सिर्फ तुमसे मोहब्बत है ।

तन्हाइयों में तेरे सूरत का चाँद में नजर आना,
पाकर तुझे रुकी जिंदगी का फिर से चल सा जाना ,
ये मोहब्बत नही तो क्या है ?
हाँ मुझे मोहब्बत है ।
मुझे सिर्फ तुमसे मोहब्बत है ।

तुझे देख आँखों का यू ही चमक सा आना,
अब तक खामोश धड़कनो  का एक तूफान बन जाना ,
ये मोहब्बत नही तो क्या है ?
हाँ मुझे मोहब्बत है ।
मुझे सिर्फ तुमसे मोहब्बत है ।

Thursday 18 May 2017

अच्छा लगता है...

कभी उड़ना ,
तो कभी उड़ते रहना  ,
कभी उड़ कर गिर जाना अच्छा लगता है ।
एक बार देखने के लिए उन्हें ,
जगना , सोना और सो कर ,
पहले ही जग जाना अच्छा लगता है।
उनसे हर बार पूछना एक ही सवाल ,
और उनके ना में भी हाँ खोजते हुए ,
खो जाना अच्छा लगता है ।
यू ही खोजते हुए  राहों में  उनको ,
मेरा गिरना ,और फिर गिर कर ,
उठ जाना अच्छा लगता है ।
हर बार देखना यू ही चुपके से उनको ,
और फिर  अंशुओ से आंखों का ,
भर आना अच्छा लगता है ।
यू तो सिर्फ जितना हमे आता है ,
मगर खुशी उनकी हो तो ,
हर बार हार जाना अच्छा लगता है ।
अपनो के भीड़ के गैरो की  कहाँ कमी  है ,
मगर पा कर भी तुमको ,
ये पत्थर सा जमाना अच्छा लगता  है ।
उनकी वफ़ा मीले या ना मिले ,
ये चाहत तो नही मुझको ,
बस उनकी मोहब्बत में  यू ही,
मिट जाना अच्छा लगता है ।

Thursday 13 April 2017

कैसे बोल दूँ...

जुबान से वो बोल दूँ ,
जो सिर्फ महसूस ही हुआ ,
जिसे अल्फ़ाज़ की जरूरत ही नहीं ,
यु तो आसान नहीं होता ।
दिल और जहाँ के बीच ,
घूँघट किये हुए दुल्हन सी ,
पलको में छुपे  आंशुओं को ,
काश तुमने सिर्फ देखा होता ।

Thursday 6 April 2017

जिंदगी और ख्वाइश

जिंदगी गुजर गयी ख्वाइशों को  मारते मारते ,
और यु ही मैं आखिरी मंजिल से,
जब  कुछ कदम दूर जब रहा गया ,
मौत ने भी पूछ ही लिया  ,
बता तेरी आखिरी रजा क्या है ।
एक तरंग  सी दौड़ी और आँखे नम हो गयी मेरी ,
छुपा कर आँसुओ को पलकों में मैंने
धीरे से उसके पास जाकर बोला
फिर से ना जिंदगी  मिले
बस इतना बता उसकी सजा क्या है ।

Wednesday 22 March 2017

जिंदगी और सुक़ून


संग तेरे मैं जिंदगी में बड़ा सुकून सा पाता हूं ।

हर अदा पर मेरा मर जाना  ,
ए जिंदगी उनके लिए ,
तभी तो तुझे थोड़ा कम सा पाता हूँ।

तू पूछ कर अपनी अदाओं से बता दे ,
मरना और कितनी बार होगा,
खुदा से मांग कर जन्म उतने  तेरे लिए मैं और लाता हूँ ।

संग तेरे मैं जिंदगी में बड़ा सुकून सा पाता हूं ।

हर बार  मरने के बाद  ,
तुझसे मेरा अलग हो जाना ,
बिन तेरे ज़न्नत को भी मै ज़न्नत सा कहाँ पाता हूँ ।

आखिरी दुआ में  संग तेरा ,
और हाथो की लकीरों में ख़ुशी तेरी  ,
संग तेरे धरती को मै जन्नत से ज्यादा हसींन पाता  हूँ ।

संग तेरे मैं जिंदगी में बड़ा सुकून सा पाता हूं ।

जो आशुओं से भी कभी बयां नहीं हुआ ,
जो किसी ने छुआ ही नहीं,
आज उस  दर्द पर  तेरे स्पर्श को मैं मरहम सा पाता  हूँ ।

जिंदगी बहुत छोटी मेरी ,
तुझे पाने अब आसान ना होगा ,
कुछ वक़्त गुजार ले मैं कल के बारे में कहाँ जान पाता हूँ ।

संग तेरे मैं जिंदगी में बड़ा सुकून सा पाता हूँ।

Saturday 18 March 2017

अंजान बन जाते हैं....

जिंदगी के इस मोड़ पर आकर ,
चलो फिर से हम अंजान बन जाते हैं,
बाद इतनी खुशियों के तेरे संग, फिर से हम परेशान बन जाते  हैं।

फासलों से परे ,
तेरी हर आह पर कभी तड़प हम जाते थे ,
हार कर वक़्त से  , चलो हम वही पुराने पत्थर के इंसान बन जाते हैं।

अब यह एहसास होता है ,
तुझे पाना आसान नहीं होगा , 
मगर तुझे छुपा लू मैं सूरज की किरणों से  ,खुद  हम वो नीला आसमान बन जाते हैं ।

आज मेरे दिल को यह समझा दो और मैं तेरे दिल बहला दूँ,
दूर रहकर  भी जीना शायद मुमकिन होता है ,
वरना  ज़िस्म से जिन्दा और दिल से हम यूँ बेज़ान  बन जाते हैं ।

Saturday 4 March 2017

मोहब्बत क्या करेगा...

जो खुद से नफरत करता हो, वो किसी और से मोहब्बत क्या करेगा ।
जिसे जिंदगी ने हर पल मारा हो , बाद  उसके भी  कोई मौत से  क्या  डरेगा ।

Saturday 21 January 2017

वक़्त..

मुझे वादों का हवाला ना दिया करो ऐ हमसफ़र ,ये जो मेरे  यादों पर बिखरें ज़ख्म है  ,वो इन्ही की निशानियाँ हैं ।
दर्द के सिवा इनमें कुछ और ढूढ़ के देखो जरा , जो तुम्हे कभी महसूस ही नहीं हुआ ,ऐसी मेरी कितनी कहानियाँ हैं ।

तुम और खुदा

इन लबों पर मुस्कराहट ही बेहतर है ,दिल के दर्द में झाखने की फ़ुर्सत किसे है।
दुआ में तुम हो या खुदा  हो ,तुमसे अलग मेरा खुदा हो , इसकी हसरत किसे है ।

वक़्त का खेल

तुम बिछड़ जाओगे मिलकर,  इस बात में कोई शक़ ना  था ! मगर भुलाने में उम्र गुजर जाएग, ये मालूम ना  था !!