Wednesday 27 September 2017

किसी ने पूछा...

किसी ने पूछा मुझसे ख़ुदा देखा है तुमने ,
मैंने कहा,
जिसका चेहरा मेरी बन्द पलकों पर हर बार यु ही उभर आता है ,
जिसके  पास होने भर से जिंदा होने का  एहसास फिर से हो जाता है ,
वो मेरे लिए ,
ख़ुद खुदा से कम तो नही है ।
जिसकी जरूरत  दिल के हर बार धड़कने पर सांसों सी महसूस होती है ,
हर सफर में ना ही सही ,मगर हर मंजिल पर जिसकी  जरूरत होती है,
वो मेरे लिए ,
ख़ुद खुदा से कम तो नही है ।

Friday 15 September 2017

वफ़ा

कभी वफ़ा समझ ना आये तो ,
साँसों से गुफ़्तगू में ही पूछ लेना ,
ये क्यों थम जाती हैं हर बार ,
जान जाने के बाद।

वक़्त का खेल ..

जिन पे ख़ुद से भी ज्यादा यक़ीन था,
वही बैठे है मेरे दुश्मन की मफ्फिल में ,
अब दुश्मन की तारीफ  या ,
उनसे खुद जाकर शिकायत करूँ मैं ।

मैंने खोया या उन्होंने मुझको ,
ये हम फिर कभी सोचेंगे ,
अभी सवाल इतना सा है की ,
उनकी मोहब्बत की तौहीन ,
या दिल से लगाकर हिफाज़त करूँ मैं।

Saturday 9 September 2017

क्यों लगता है ...

क्यों लगता है देख कर तुझको ऐसा,
जैसे  तुझे पाने के  लिए ही ,
कई जन्मों से चलता रहा हूँ मैं
जैसे कुछ वक्त बिताने के लिए ,
कई सदियों से जगता रहा हूँ मैं ।

क्यों लगता है देख कर तुझको ऐसा,
जैसे तुझे याद रखने के लिए ,
अब तक सब कुछ भुलाता रहा हूँ मैं ।
जैसे अब भी बैठ कर किनारे पर तन्हा,
गीत वही तेरे लिए गुनगुनाता रहा हूँ मैं।

क्यों लगता है देख कर तुझको ऐसा,
जैसे अपने लिए ही मैं अब तक ,
तुझको दुनियाँ से बचाता रहा हूँ मैं ,
जैसे महल तेरे खुशियों का ,
हर रोज़ दुआवों में ही सजाता रहा  हूँ मैं ।

वक़्त का खेल

तुम बिछड़ जाओगे मिलकर,  इस बात में कोई शक़ ना  था ! मगर भुलाने में उम्र गुजर जाएग, ये मालूम ना  था !!