Saturday 24 February 2018

सुना है आज..

सुना है आज की ,
बीच राह में यू ही ,
ख़ुद को  छुपाकर नक़ाब में,
ग़मों ने मेरी खुशियों से उनका पता पूछा है ।
कोई बात दे इन ग़मों को ,
उन्हें ढूढ़ना आसान ना होगा ,
खुद मोहब्बत ने जिन्हें  ,
लाखों घरों के बीच कहीं छुपा रखा है ।

वक़्त का खेल

तुम बिछड़ जाओगे मिलकर,  इस बात में कोई शक़ ना  था ! मगर भुलाने में उम्र गुजर जाएग, ये मालूम ना  था !!