Monday 9 October 2017

तेरी कमियाँ..

जिन्हें भूल जाना ही बेहतर है ,
तेरी उन कमियों को हम ,
अक़्सर रेत पर लिखा करेंगे,
कभी वो हवाओं से मिट जाएंगे ,
तो  कभी किसी के कदम उन्हें छुपा जाएंगे ।

फ़िक्र ना कर दूरियो की जो हमारे  दर्मियाँ हैं, 
जो लकीरे मिलकर हमने,
दिल की दीवारों पर खिंची हैं,
जिन्हें मोहब्बत से हमने सींचा है,
उन्हें फासलों से जन्मे तूफान भला क्या मिटा पाएंगे।

कभी अलग हुए हम तो ,
उड़ते बादलों से तुम हर बार कह देना,
लफ़्ज़ों के संग तुम्हारे अश्कों को,
वो अपनी बूंदो में छुपाकर ,
तुम्हारे हलात के हर तस्वीर को  मुझ तक पहुचा जाएंगे ।


























वक़्त का खेल

तुम बिछड़ जाओगे मिलकर,  इस बात में कोई शक़ ना  था ! मगर भुलाने में उम्र गुजर जाएग, ये मालूम ना  था !!