Saturday 21 November 2020

कुछ पल...

बहुत चाहा था कहना, जिसमें वक़्त सिर्फ़ कुछ पल का लगता।
मैं इंतज़ार करता रहा सही वक्त का, औऱ जिंदगी यु ही खर्च हो गयी।

बहुत कुछ पाया है ...

कुछ पा लेने से,
सब कुछ नही मिल जाता है।
मैंने खो कर भी,
 बहुत कुछ पाया है ग़ालिब।

वक़्त का खेल

तुम बिछड़ जाओगे मिलकर,  इस बात में कोई शक़ ना  था ! मगर भुलाने में उम्र गुजर जाएग, ये मालूम ना  था !!