Ishq Mohabbat Love
Tuesday 28 July 2020
एक मुलाकात
सुना था कि लोग मिलते है और जिंदगी बदल जाती है।
ये एहसास हुआ उनसे फ़क़त एक मुलाकात के बाद ग़ालिब ।
इंसान बने रहना
मोहब्बत थी मेरी और ज़ोर-ए-तसव्वुर था मेरा,
जो तुम्हें ख़ुदा बना बैठा।
वरना ऐसे जहाँ में ख़ुद इंसान का इंसान रहना,
है नामुमकिन सा लगता।
Saturday 4 July 2020
एक उम्र
समझ ले वक़्त को कोई,
ये आसान तो नहीं ग़ालिब।
फ़क़त मरने के वास्ते,
उम्र गुजारता है यहाँ हर कोई।
ग़लत होना भी ग़लत नहीं
गलत हो कर भी,
कुछ ग़लत तो नहीं किया मैं ग़ालिब।
एक जिंदा इंसान हूँ,
पत्थर पर तराशा कोई ख़ुदा तो नहीं।
कत्ल उन्हीं का कर आये हैं हम...
जिनके बिना रहना मुमकिन ना था,
कत्ल उन्हीं का कर आये हैं हम।
ये समझना अब मुश्किल तो नही है,
की उन्हें या मार खुद को आये हैं हम।
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