Sunday 17 May 2020

ख़ुदा का शौक़

ख़ुदा को शौक़ है, 
उन्हें उठा लेने का।
जो और जिंदा हो जाते हैं, 
मर जाने के  बाद ।

Friday 15 May 2020

रिश्तों के वृक्ष

रिश्तों के वृक्ष,
सिर्फ वादों से नहीं उगा करते हैं।
कभी पसीने तो कभी खून  की,      
जरूरत होती है ग़ालिब ।

Tuesday 12 May 2020

वो आख़िरी साँस

एक उम्र यहाँ गुज़र सी गयी,
जिंदा रहते हुए मुझे।
सिर्फ वो आख़िरी साँस जिंदगी की,
जीना सीखा गई ग़ालिब।

जिंदा हूँ

मोहब्बत थी उनसे,
इसलिए जिंदा हूँ  अब तक।
वरना मरने की वज़ह,
यह कम तो नही है ग़ालिब।

हो जिंदा अगर तुम

हो जिंदा अगर तुम ,
तो ख़बर कर  देना ।
वरना सुना है आजकल,
मरने की कोई उम्र नही होती ।

Thursday 7 May 2020

कैसे हार जाता...

कुछ फासलों से मैं टूट कैसे जाता,
मेरी जिंदगी पर औरों का भी  हक़ था।
उन तूफानों से हार मैं कैसे जाता,
जिंसके होने पर ही मुझको शक था ।

वक़्त का खेल

तुम बिछड़ जाओगे मिलकर,  इस बात में कोई शक़ ना  था ! मगर भुलाने में उम्र गुजर जाएग, ये मालूम ना  था !!