कैसा है ये मंज़र मातम का,
जनाजे को कंधों की कमी पड़ गई।
इंसान जिंदा था तो हवा की,
तुम बिछड़ जाओगे मिलकर, इस बात में कोई शक़ ना था ! मगर भुलाने में उम्र गुजर जाएग, ये मालूम ना था !!