मुझे वादों का हवाला ना दिया करो ऐ हमसफ़र ,ये जो मेरे यादों पर बिखरें ज़ख्म है ,वो इन्ही की निशानियाँ हैं ।
दर्द के सिवा इनमें कुछ और ढूढ़ के देखो जरा , जो तुम्हे कभी महसूस ही नहीं हुआ ,ऐसी मेरी कितनी कहानियाँ हैं ।
Saturday 21 January 2017
वक़्त..
तुम और खुदा
इन लबों पर मुस्कराहट ही बेहतर है ,दिल के दर्द में झाखने की फ़ुर्सत किसे है।
दुआ में तुम हो या खुदा हो ,तुमसे अलग मेरा खुदा हो , इसकी हसरत किसे है ।
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वक़्त का खेल
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