Sunday 19 April 2020

नही है फ़िक्र कोई

नहीं है फ़िक्र कोई,
तुझसे अब दूर रखकर।
यक़ीन है इश्क़ पर अपने,
की मुलाक़ात जरूर होगी।
पाकर तुझे,
मैं ख़ुद खुदा बन बैठा ।
जुदा कोई ख़ुदा को करे,
इतनी औकात किसकी होगी।

Saturday 18 April 2020

नसीब में कहाँ

हर किसी के  नसीब में कहाँ,
ऐसी  मोहब्बत ग़ालिब।
ना जाने कितने मर गए,
सिर्फ इसकी चाहत लिए हुए।


हो मोहब्बत तो

 
हो मोहब्बत तो ,
उस निभाने का जज़्बा रख।
वरना सांसों के चलने से,
सिर्फ कोई  जिंदा नहीं होता।
                              
 

मौत दे दे

नहीं मंज़ूर मोहब्बत मेरी,
तो मौत दे दे।
वरना कबूल कुछ यू कर की,
फिर से ख़ुदा हो जाऊँ। 

हो मंजूर हर शर्त तो

हो मंजूर हर शर्त तो,
कुछ ऐसी मोहब्बत कर,
जिया जो पल साथ उनके ,
जिंदगानी बस उतनी ही हो।

जिंदगी

तुझे समझना कभी ,
आसान तो नही हैं ज़िन्दगी।
हम ताउम्र जीते रहे,
सिर्फ एक बार मरने के वास्ते।
                              

वक़्त का खेल

तुम बिछड़ जाओगे मिलकर,  इस बात में कोई शक़ ना  था ! मगर भुलाने में उम्र गुजर जाएग, ये मालूम ना  था !!