नहीं है फ़िक्र कोई,
तुझसे अब दूर रखकर।
यक़ीन है इश्क़ पर अपने,
की मुलाक़ात जरूर होगी।
पाकर तुझे,
मैं ख़ुद खुदा बन बैठा ।
जुदा कोई ख़ुदा को करे,
इतनी औकात किसकी होगी।
तुम बिछड़ जाओगे मिलकर, इस बात में कोई शक़ ना था ! मगर भुलाने में उम्र गुजर जाएग, ये मालूम ना था !!