Wednesday 28 April 2021

कैसा है ये मंज़र

कैसा है ये मंज़र मातम का,

जनाजे को कंधों की कमी पड़ गई।

इंसान जिंदा था तो हवा की,

गर मर गया तो जमीं कम पड़ गई।

वक़्त का खेल

तुम बिछड़ जाओगे मिलकर,  इस बात में कोई शक़ ना  था ! मगर भुलाने में उम्र गुजर जाएग, ये मालूम ना  था !!