Friday 30 December 2016

अनकहा

खुद अश्को के सागर में बह न जाऊं कहीं , आज मैं भी रो लेता हूँ ।
जो कभी जुबान से मैं ना कह पाया,वो आशुओं से कह देता हूँ ।

Sunday 11 December 2016

वक़्त

मैं सागर हूँ  ऐसे मोहब्बत  का मेरे हमसफ़र , जिसका कोई किनारा ना  होगा।
हर कस्ती की एक उम्र होती है ,डूब जाना मेरे लिए  मुझे जरा भी गवारा  ना होगा ।

Wednesday 7 December 2016

नासमझ

जिनको हक़ है मेरे जान पर,यु ही दुआ  में नासमझ वो,  सिर्फ मेरी एक  नजर  मांग लेत हैं ।
उनको तो  खुदा मान  बैठा हूँ कब से, नहीं सोचता एक पल भी ,अगर वो कभी मुझसे जिगर मांग लेते हैं।

Friday 21 October 2016

माँ

तेरे चरणों को छूकर ,
यूँ तुझसे लिपट कर ,
इतने वर्षों के बाद भी मैं, फिर से बच्चा बन जाता हूँ माँ।

तेरे आँचल की छाया पा कर ,
तेरे गोद की माया पा कर ,
छोड़ छाड़ कर सबकुछ मैं, फिर से अच्छा बन जाता हूँ  माँ।

गुज़र कर सारी ऊपर नीचे की बस्ती से भी ,
काले सागर मे अपनी ही टूटी कश्ती से भी ,
तेरे लिए दुनिया में हर बार मैं, सबसे सच्चा बन जाता हूँ माँ ।

हर किसी की नफरत के बाद भी ,
खुद मेरी कुछ काली हसरत के बाद भी ,
पाकर तेरी ममता की छाया मैं, फिर से अच्छा बन जाता हूँ माँ।

कैसे देखूँ तेरे आँशु जो मेरे मोती हैं ,
मेरी  लिये जो तू रात भर नहीं सोती है ,
लहू की एक बूद पर ही मैं, दुआओं से लिपटा  गुच्छा बन जाता हूँ माँ ।

मैं रोता हूँ तो तुम तो  भी रोती है,
मेरे आशुओं से अपना पल्लु भिगोती है ,
मत हो परेशान तू, तेरे लिए फिर से मैं अच्छा बन जाता हूँ माँ।

                                              

Monday 19 September 2016

कश्मीर के उस पार

इंसानियत ने रोक रखा हमे ,
वरना तुम जैसे कायरों  को कुचलना हमे खूब आता है ।
अगर ठान लिया हमने तो ,
सहम आहट भर से जाओगे  इतना डराना  हमे आता है ।

Friday 16 September 2016

कैसे कह देता अलविदा ...

कैसे कह देता अलविदा तुमसे ,
एक  अधूरी बात जो बाकि है ।

जो सामने कह नहीं सका कभी तेरे,
दिल में कहीं वो एहसास बाकि है ।

जिससे खुद मैं भी रूबरू नहीं ,
अंजान तुम भी थे अब तक  ,
आज भी तुमसे जिन्दा मुझमे कही वो इंसान बाकि है ।

कैसे कह देता अलविदा तुमसे ,
एक  अधूरी बात जो बाकि है ।

नहीं आता समझ मुझको ,
बिन तेरे बाद सदियों के भी ,
क्यों खामोशियों में उलझी इक जान  बाकि है ।

जो तुझको महसूस भर है ,
जिसे हर पल मै लड़ता रहा ,
बाद इतने तूफानों के मेरी जिंदगी में इक और तूफान बाकि है ।

कैसे कह देता अलविदा तुमसे ,
एक  अधूरी बात जो बाकि है ।

भूल गया खुदा को ,
जहां को भुला दिया ,
जुबान पर आज भी बस तेरा ही इक नाम बाकि है ।

बाद सदियों के फासलो से भी ,
जो  मिट नहीं पाया,
तुजसे होकर गुजरती उसी  राह में मेरा आखिरी अंजाम  बाकि है ।

कैसे कह देता अलविदा तुमसे ,
एक  अधूरी बात जो बाकि है ।

हर रोज निकल पड़ता ,
उसी पुरानी राहों में मै,
तुझे पाने की आज भी एक लड़खड़ाती आस बाकि है ।

पास सागर के होके भी  भी  ,
प्यासा मैं रह गया   ,
कुछ ऐसी ही एक अनबुझी से मुझमे प्यास बाकि है ।

कैसे कह देता अलविदा तुमसे ,
एक  अधूरी बात जो बाकि है ।

Thursday 25 August 2016

हार कैसे मै जाता ...

कुछ फासलों से बिखर मै कैसे जाता ,
मेरे जिंदगी पर औरों का भी हक़ था ।
उन तूफानों से हार मै कैसे जाता ,
जिनके होने पर ही मुझको शक था ।

Wednesday 27 July 2016

हर दर पर सर झुकाया.....

हर दर पर सर मैने झुकाया ,
फिर बाद इतनी मोहब्बत के भी,
तुम्हें पा क्यों नहीं पाता।

तेरी यादों से लिपटे ख़त है मेरे पास ,
बेबस मैं भी कितना ,
उन्हें अब पढ़ नहीं पाता।

गुजर जाती है राते मेरी ,
हर रोज़ इसी कश्मकश में ,
और सपनों में भी क्यों तुमको झुठला नहीं पाता।

हर बार तेरे नाम लिखता,
फिर यूँ लिखकर मिटा देता हूँ,
फिर क्यों खुद से तुम्हें मैं मिटा नहीं पाता।

क्या रह गया जिससे हो कर न गुजरा हूँ मैं,
इतनी कोशिशो के  बाद भी ,
तुम्हें भुला क्यों नहीं पाता ।

हर वो  पल याद है आज भी ,
अपनी खुशियों का मुझको ,
ना जाने क्यों धागों में बस पिरो मैं नहीं पाता ।

Sunday 17 July 2016

एक नजर पर मेरा बिखर जाना ...

वो माफ़ ना कर सके मुझे,जो मैंने मुड़ कर एक बार नहीं देखा ,
बस कुछ इस तरह मैंने  ,अपने हजारों अश्क़ो को उनसे  छुपा लिया ।
रोक नहीं पाया बिखरने से खुद को ,जब भी एक नजर उनको देखा ,
बस ना देख कर उनको  ,खुद को आज तक बिखरने से बचा लिया ।

Saturday 16 July 2016

तेरी समझ...

मेरे दिल की दीवार पर ,
जो पढ़ तुम नहीं पायी ,
वो मैं अब ज़ुबानी क्या बयां करूँ।

मेरे दिल की हालात  ,
तुमसे छुपा कब रहा ,
उसे अब एक कहानी से क्या बयां करूँ।

Wednesday 29 June 2016

जिंदगी के एक मोड़ पर ...

भूल कैसे जाऊँ जिसे दिल में सींचा था ,
जो आँखो से होकर अश्क़ो में बह गया,
किसी मोड़ पर जिंदगी के ।

कुछ यूँ उलक्षा मै वक़्त के भँवर में ,
चाहकर भी रुक नहीं पाया तेरे साथ,
उस मोड़ पर जिंदगी के।

तेरी आँखों से सिर्फ अश्क़ नहीं  ,
मोहब्बत का पूरा कारवां बहा था ,
उस मोड़ पर जिंदगी के ।

अगर एहसास था मेरे दर्द का तुझको ,
फिर गले क्यों नहीं लगा लिया आकर  ?
खड़ी रही मैं आज तक उस मोड़ पर जिंदगी के ।

होकर अलग तुमसे मैं इंसान कहाँ रहा ?
ज़िंदा रहकर मैं फिर ज़िंदा कहाँ रहा ?
आकर इस मोड़ पर  जिंदगी के ।

कह तो दिया होता इंतजार ना करना ,
मै जिन्दा ना रहती साँसों के रहमो करम पर  ,
आकर इस मोड़ पर जिंदगी के।

तुम्हें पाने की आस मै कैसे छोर देता ,
लड़ता रहा मै हथेली की लकीरों से ,
आज तक उस मोड़ से जिंदिगी के ।

मोहब्बत करना मेरा गुनाह हो गया था,
जो आज तक चलती रही तन्हा ही काटों पर,
बाद उस मोड़ से जिंदगी के ।

काश ना हारा होता हालातों से मै,
सिर्फ देखता रह गया तुम्हें तड़पते हुए ,
आकर इस मोड़ पर जिंदगी के ।

बेरंग मेरे जिंदगी हो गयी हार कर तुम्हें हालातों से ,
सोचता हूँ आज फिर चल दूँ ,
उसी मोड़ पर जिंदगी के ।

ना कब्र बंधन होगा ना आसमान बंधन होगा ,
तुम आवाज तो एक बार देना ,
आकर फिर से उसी मोड़ पर जिंदगी के ।

Friday 24 June 2016

मेरे हालात और मेरे अनसुने अल्फ़ाज...

क्यों नही तुमने मेरे हालात समझे  ।
जो कह नही सका मै ,वो अल्फ़ाज समझे ।

तुम्हें अपना समझना मेरा,
गुनाह कब से हो गया था।
जो दिल मे आये वो कह जाना मेरा,
नागवार कब से हो गया था  ।

रह नही सकता तुम बिन ,
इसारों मे कह तो दिया था ।
तन्हा चल नही सकता अब राहों में,
बातों बातों मे कह तो दिया था ।

फिर क्यों नही तुमने मेरे हालात समझे ।
जो कह नही सका मै वो अल्फ़ाज समझे ।

रह सकती है मुझ बिन ,
आज दिल को यह समझा लेना आसान होगा ।
गैरों की महफ़िल मे ,
पलको मे छुपे आँशुओं को छुपा लेना आसान होगा ।
जब भी  डूबेगी मेरी कश्ती तेरे दिल में ,
हर किसी ये दर्द छुपा लेना आसान होगा ।

मगर खुद से पूछना ,
क्या जो हर किसी से छुपा लिया है तुमने ,
वो खुद दिल से भी छुपा लेना आसान होगा ?

तब दिल के हर कोने से ये आवाज आएगी ,

संग मेरे ,
सदियोँ का सफ़र भी कुछ पलों में गुजर जायेगा ,
मगर मुझ बिन ,
एक पल का गुजरना अब आसान ना होगा ।

फिर क्यों नही तुमने मेरे हालात समझे ।
जो कह नही सका मै वो अल्फ़ाज समझे ।

कभी बंद आँखों से एक बार याद करना मुझे ,
छा जाऊंगा मैं बादल बनकर तेरे ऊपर ,
तेरा यु धूप से तन्हा ही बच जाना आसान ना होगा ।
क्षाया बन कर घेर लूँगा  हर बार तुमको ,
बारिश की बूंदों से बार बार बच जाना आसान ना होगा।
लिपट जाऊंगा मै तेरे पैरो से कुछ इस तरह ,
सफर मे काटों से होकर ,तेरा यूँ ही  निकल जाना आसान ना होगा ।

फिर क्यों नही तुमने मेरे हालात समझें  ।
जो कह नही सका मैं ,वो अल्फ़ाज समझे ।

Wednesday 22 June 2016

काश ऐसा न होता ...

होती अगर तन की कीमत इस  संसार में ,
तो लाशो का यूँ ही बाजार लगा करता ।

काश ना हारा होता ,
मैं खुद को अपनों के ही बाजार में,
तो  आज तेरे नाम के साथ मेरा नाम जुड़ा करता ।

किसको ठहराता गलत और किसको सही कहता मैं ,
किससे करता प्यार  और किससे नफरतम करता मैं,

होती अगर ताकत ,
हालात को बस में करने की  मुझमें ,
तो आज खुद से नफरत नहीं ,मैं भी प्यार करता ।

होती अगर तन की कीमत  इस संसार में ,
तो लाशो का यूँ ही बाजार लगा करता ।

किससे हारता  और किससे जीत जाता मैं,
किसको अपनाता और किसको ठुकरता मैं,

काश मैं जान पाता अपनों मे अपनों को  ,
तो आज मैं तुमको छोड़ सबका त्रिस्कार करता ।

काश ना हारा होता,
मैं खुद को यूँ ही अपनों के बाजार में,
तो आज तेरे नाम के साथ मेरा नाम जुड़ा करता।

क्या पाया मैंने और क्या रह गया पाना बाक़ी,
क्या खोया मैंने और क्या रह गया खोना बाक़ी,

काश ना पड़ा होता इस खोने पाने में ,
तो दुनिया मे हर कोई आज मेरा जय जय कार करता ।

होती अगर तन की कीमत इस  संसार में ,
तो लाशो का यूँ ही बाजार लगा करता ।

Tuesday 14 June 2016

ऐसे जहान चले...

हाथों मे तेरा हाथ लेकर , चल चले ऐसे जहान चले ।
जहाँ तैरता मैं बादल सा मोहब्बत के आसमानों में और बारिश की बूंदो में तुम हो ,
जब भी थक जाऊँ मैं किसी मोड़ पर आकर ,वहीं वृक्ष की क्षायों में तुम हो ।
जहाँ अंधरे रास्ते पर जब कभी चाँदनी हो तो ,  काश उस चन्दा में तुम हो ,
जिंदगी के आखिर पल में जो मांगू मैं खुदा से ,काश उस दुआ में  तुम हो ।
दो जिस्म एक जान लेकर ,चल चले ऐसे जहान चले।
जहाँ जब कभी मैं तन्हा रहू आसमान के तले, बस चमकते तारों मे तुम हो ,
सागर पर चलती लहरें, जो उठे  चाँद की ओर ,उन मचलती  लहरों मे तुम हो ।
जहाँ रात के सन्नाटे मे जो कभी माँ ने  गुनगुनाये मेरे   लिए , काश उस लोरीे  सी तुम हो ,
बचपन मे सुनी जो कहानियों मैंने ,जो आज भी दिल में जिन्दा कहीं है ,काश उन कहानी की परि सी  तुम हो ।
खुशियों का एक आसमान लेकर ,चल चले ऐसे जहान चले ।
जहाँ मंदिर मे जो पढ़ू मैं ,उस पूजा मे तुम हो,
मस्जिद मे मांगी मेरी , हर दुआ  मे  तुम हो।
जहाँ चेहरा कोई भी हो ,हर चेहरे में तुम हो ,
मेरी लिए दिन में सूरज और रात में चाँद तुम हो ।
मोहब्बत   का  एक कारवां लेकर ,चल चले ऐसे जहान चले ।
जहां हर धङकन मे बस इश्क़  और जहां नफरत का कोई निशान ना हो ,
जहाँ सब कुछ तुम बिन कम सा लगे और पाकर तुमको और कोई अरमान ना हो ,
जहाँ तेरे होने से सिर्फ मेरा होना और बिन तेरे मुक्षमे कोई  जान  ना हो ।
सोचता हूँ कुछ ऐसा कर जाऊँ  ,बाद उसके  बिन तेरे मेरा कभी नाम ना हो ।
हाथों मे तेरा हाथ लेकर , चल चले ऐसे जहान चले ।

Monday 23 May 2016

मेरी नाराजगी ...मेरे अपने ...


आज ,हर किसी से दिल मे इतनी नाराजगी सी क्यों है।
ऐ जिंदगी तुझे मुझसे  ही  दुश्मनी सी क्यों है ।

कभी नजरें नही हटती थी उनकी ,मुझ पर आ जाने के बाद, आज बड़ी मुश्किल से उन नजरो को खुद पर उठते देखा है।

जो कसम खाते थे ,मर जाने की मोहब्बत मे साथ मेरे,
आज उनको  लहु के एक बूंद पर बिलखते  देखा है।

आज ,हर किसी से दिल मे इतनी नाराजगी सी क्यों है।
ऐ जिंदगी तुझे  मुझसे ही दुश्मनी सी क्यों है।

यु तो बहुत कम  थे काफिले मे मेरे अपने ,जिन पर खुद से ज्यादा यकीन था ,
मैं तड़पता रहा एक मुस्कान की खातिर और उनको खिल खिलाकर हँसते देखा है ।

लड़ता रहा हर किसी से जहान मे जिसके वास्ते ,
और बना के खुदा उसको दिल मे मंदिर बना दी थी ,
आज  उसी मंदिर से अपने खुदा को निलते देखा है ।

आज, हर किसी से दिल मे इतनी नाराजगी सी  क्यों है।
ऐ जिंदगी तुझे  मुझसे ही  दुश्मनी सी क्यों है।

जिनके होने से खुशियों का सागर पास था ,
जिनके होने से जिंदा होने का एहसास  था ,
कितना अजीब है ये वक़्त का खेल भी ,
आज उसी से मैं  ,खुद  को डरते देखा है ।

जो बनाया था महल कभी दिल मे ,
जिसमे हर यादों को  संजोये रखा था  ,
अपने  महल को आज  रेत की तरह ,
उन्हीं की आँधियों से बिखरते देखा है।

आज,हर किसी से दिल मे इतनी नाराजगी सी  क्यों है।
ऐ जिंदगी तुझे मुझसे ही  दुश्मनी सी क्यों है।

खुद अंधेरे मे भटकता रहा जिंदगी भर ,
खुद बन कर दिया जिसके लिए  जलता रहा जिंदगी भर ,
आज  मेरी लौ को उसी से लड़ते देखा है ।

अब उमीदों की डोर जुड़ती नही किसी से,
फिर से किसी को अपना बनाने की चाहत भी ना रही ,
पाकर जिंदगी के इस मोड़ पर  मुझको ,
हर बार आज खुशि को मुझ पर हँसते देखा है ।

आज,हर किसी से दिल मे इतनी नाराजगी सी  क्यों है।
ऐ जिंदगी तुझे मुझसे ही  दुश्मनी सी क्यों है।

Friday 22 April 2016

मोहब्बत भी तुम हो खुदा भी तुम हो....

मोहब्बत भी तुम हो खुदा भी तुम हो ,

आज क्या कह दू  मैं ,जो तुमको यक़ीन हो जाये ।
हो जाये यक़ीन तुमको एक बार ,तो मुझे और कुछ  चाहत ना रह जाये ।

जुबा का कोई काम ना हो हमें  इश्क़ की गुफ़्तगू के लिए , सिर्फ दिल की दिल से बात हो जाये ।

मोहब्बत कुछ ऐसी हो हमारे दर्मियां , आँशु तेरे आँखों के आँखों मे मेरे हर बार  उभर आये।

कुछ यु बहे मोहब्बत की फ़िज़ा,तेरे दिल की धड़कन  मेरे दिल की धड़कन बने और हम  दो जिस्म एक जान हो जाये ।

हवाओं मे लिपटा बहूँगा मैं , छु कर तुझे गुजरा करूँगा मैं ,और यु दूर होने का  हमे  गम ना रह जाये ।       

मोहब्बत भी तुम हो खुदा भी तुम हो ,

आज क्या कर दू मैं ,जो तुमको यक़ीन हो जाये ।
हो जाये यक़ीन तुमको एक बार, तो मुझे और कुछ चाहत ना रह जाये।

दुआ मे मैं हर बार मागता सर झुकाकर , काश खुशि के संग गम भी ,वजह तेरे मुस्कान का बन  जाये ।

डरना क्या अब जिंदगी के अंधेरे से ,जब कभी तुम  तो कभी हम तेरे लिये  ,अंधेरो मे खिलता चाँद बन जाये ।

तुम मेरे और मैं तेरे आँखों मे देखूँ ,दिल की दीवार पर बनी तस्वीर ,नजरों से नजरों मे ही बस बिखर जाये।

फिर कोई आईना भी ना हो,  किसी पहचान की जरूरत ना हो हमें ,ये मासूम सी मोहब्बत ही हमारी  पहचान बन जाये ।

जान हो ना हो ,साँस चले ना चले मैं हर बार पा लूंगा  तुझे बन्द आँखो से भी ,बस मेरे दिल मे तेरीे मोहब्बत रह जाये ।

Friday 15 April 2016

दिल की नजर से

खोजते खोजते जिन्हें हम ,
इस बेगाने जहान मे खुद को खो दिया ,
पर वो कहीं  नजर ना आये ।

जब थक कर  हार कर,
दिल की नजर से  हमने देखा एक बार  ,
तो इस जहान मे वो ही बस नजर आये ।

कोई कैसे करे मोहब्बत ...

कोई कैसे करे मोहब्बत जिंदगी तेरे उलझनों से ,
इतने कष्टों को झेल जाने के बाद ।

मैं हर बार कस्तीयां बनाता अपने मुक्क़दर का ,
डूब जाता तेरे सागर मे  तूफान आने के बाद ।

हार कर ही सही , लड़खड़ा कर मैं चल तो पड़ा था ,
मैं प्यास से तड़प जाता राहों मे तेरे ,
फिर से सूरज छा जाने के बाद ।

कोई कैसे करे मोहब्बत जिंदगी तेरे उलझनों से ,
इतने कष्टों को झेल जाने के बाद ।

अपनों की ही महफ़िल मे अपने नहीं मिलते,
मैं खुद ही पोछता  हूँ आंशुओं को अपने ,
अब हर बार तन्हां  रो जाने जाने के बाद ।

मंजिल  धुँधली सी और हो गयी ,
मुश्किलें जो आसां थी मुश्किल सी और हो गयी ,
जिंदगी मे बार बार  ठोकर खा जाने के बाद ।

कोई कैसे करे मोहब्बत जिंदगी तेरे उलझनों से ,
इतने कष्टों को झेल जाने के बाद ।

कोई मेरी मोहब्बत का इम्तिहान क्या लेगा ,
दो पल मे क्या, सदियों मे जान क्या लेगा ,
मैं आसामा छु देता था उनके साथ हो जाने के बाद ।

गलत ना तुम थे गलत ना हम थे ,
वक़्त के गुनाहों को झेल रहे हम,
एक दूसरे से अलग हो जाने के बाद ।

कोई कैसे करे मोहब्बत जिंदगी तेरे उलझनों से ,
इतने कष्टों को झेल जाने के बाद।

कुछ मुश्किल कहाँ होता है ...


बिखर कर फिर से संभल जाना हर किसी के नसीब मे कहाँ होता है,
हो साथ अगर मेरे खुदा का तो ,फिर कोई हालात मुश्किल कहाँ होता है ।

हार कर हार ना मानना और गिर कर उठ  जाना ,हर बार  आसान कहाँ होता है ,
हो अगर माँ की दुआ साथ में तो , हार से जीत जाना नामुमकिन  कहाँ होता है ।

बन के लहरे जब भी तूफान आये तो ,कस्ती से  पार कर जाना आसान कहाँ होता है ,
हो अगर दिल मे चाहत कुछ कर गुजरने की तो ,तूफान को चिर जाना  मुश्किल कहाँ होता है ।

किसी को खुदा बना लेना और किसी का खुदा बन जाना ये हर बार  कहाँ होता है ,
हो अगर दिल मे मोहब्बत बेसुमार तो ,खोकर इश्क़  को पाना नामुमकिन कहाँ होता है ।

हर आँशु को पहचान मिल जाये,ये हर बार पलकों के बस में कहाँ होता है ,
जिंदगी में इतने वर्षों के बाद ,  राज को दिल में दफना लेना अब मुश्किल कहाँ होता है ।

Tuesday 12 April 2016

हक़ीक़त

पूछे कोई जिंदगी से ,
ये असफलताओ का दौर कब तक  और चलेगा , 
सासों का चलना अब तो मद्धम सा लगता है ,
खुद का होना भी मुझे अब कुछ कम सा लगता है ।

यहाँ जिंदा रह कर भी कोई जिंदा कहाँ है ,
इंसान  होकर  भी इंसान कहाँ है,
हर किसी को अपना गम सिर्फ गम सा लगता है ,
औरो का गम उन्हें कुछ मरहम सा लगता है ।

क्या चाहत थी तेरी ,जो मैं समझ नही पाया,
ऐसी क्या कमी थी मुझमे ,जो तुम सह नही पाया ,
मेरी मोहब्बत जो अब तुझे बंधन सा लगता है ,
और मेरा पास होना भी तुम्हे उलझन सा लगता है ।

जिन्हें जिया नही ,जिन पलों को गुजर जाने दिया,
मुठ्ठी मे रेत की तरह जिन्हें यूँ ही फिसल जाने दिया,
उन्हें खोना हर किसी को क्यों  तड़पन सा लगता है ,
साया उन पलों का उन्हें अब क्यों कफ़न सा लगता है

Tuesday 5 April 2016

तुम बिन

कहीं रह ना जाऊँ  अधूरा तुम बिन ,
अब डर सा लगने लगा है ।

मिलता नही मेरा निशां,
कहीं खो तो नहीं दिया तुझमे कहीं
शायद पा ना सकु खुद को तुम बिन,
अब डर सा लगने लगा है ।

अब आँखे भी नही देती साथ मेरी मुस्कान का ,
छुपाना जो भी दिल मे चाहा ,
हर बार अश्कों मे बयां हो जाता है ,
शायद कुछ कह ना पाऊँ अब और जुबां से,
अब डर सा लगने लगा है ।

कहीं रह ना जाऊँ  अधूरा तुम बिन ,
अब डर सा लगने लगा है ।

तुम्हे खोना मुमकिन ना था  ,
बिना खोये खुद को, तुम्हें पाना आसान ना था ,
शायद कभी  पा ना सकु खुद को तुम बिन ।
अब डर सा लगने लगा है ।

दबी सी, छुपी सी मोहब्बत मुझमे कही,
रखा था छुपा कर जिसे सिसकियों मे ,
अब रो रो कर रही है ,
शायद मर कर भी  ,जिंदा रह ना जाऊँ तुम  बिन ,
अब डर सा लगने लगा है ।

कहीं रह ना जाऊँ  अधूरा तुम बिन ,
अब डर सा लगने लगा है ।

जो लगा था आसान  कभी,
अब नामुमकिन सा लगता है ,
शायद रह ना पाऊँ तुम बिन  ,
अब डर सा लगने लगा है ।

तुम बिन , सूरज  साथ ना देता है ,
अंधेरा और घना हो जाता है ,
मैं तन्हा एक कदम चलता हूँ,
मंजिल चार कदम चल जाती   है ,
चाहत भर सी ना रह जाये मंजिल मेरी ,
अब डर सा लगने लगा है ।

तुम बढ़ा देते हाथ तो ,
मैं थाम लिया होता ,
लड़खड़ा कर ही सही ,
गिरने के बाद ,चल दिया होता ,
शायद चल ना पाऊँ तुम बिन ,
अब डर सा लगने लगा है ।

कहीं रह ना जाऊँ  अधूरा तुम बिन ,
अब डर सा लगने लगा है ।

क्यों बाकी है ...

तेरे मेरे  बीच कुछ ना हो कर भी ,
ये एक विस्वास सा क्यों बाकी  है ।

जीना मुमकिन ना था ना तेरे बिना ,
फिर मरने के बाद ,
ये कुछ सांस सी क्यों बाकी है।

छोर दिया साथ ,
अब तो आँशु की आखिरी बूँद ने ,
फिर मिलने के बाद,
रोने की एक आस सी क्यों बाकी है।

तेरे मेरे  बीच कुछ ना हो कर भी ,
ये एक विस्वास सा क्यों बाकी  है ।

तुमसे मिलना अब मुमकिन ना होगा  ,
फिर मेरे दिल मे ,
तुम्हें पाने की एक प्यास सी क्यों बाकी है ।

हर कोशिस कर ली,
तुम्हें दिल की दीवारों से मिटा देने की ,
फिर  वर्षों बाद भी ,
यादें धुँधली ही सही ,
इतनी ख़ास सी क्यों बाकी है ।

तेरे मेरे  बीच कुछ ना हो कर भी ,
ये एक विस्वास सा क्यों बाकी  है ।

हो ना यक़ीन...

दोस्त और भी मिल जाएंगे जिंदगी के इस सफर में, मगर मुझ सा फिर ना पाओगी तुम ।

हो ना यकीन तो ,खुदा से  मांग कर देख लो मुझ सा   , हर बार दुआ मे सिर्फ मुझको ही पाओगी तुम ।।

कल भला हम रहे ना रहे ...

मिल जाने दो अपने गमो को मेरी खुशियों के साथ ,
और रो लेने दो इन्हें एक बार  साथ मिलकर ,
कल भला ये खुशियाँ मेरी  रहे ना रहे ।

खुद संभल  जाने मे कहा खुशि मिलती है ,  
जिंदगी के इस मोड़ पर आकर ,
लड़खड़ा तुम जाया करो ,संभाल हम लेंगे तुम्हें आकर ,
कल भला हम यु संभालने के लिए रहे ना रहे ।

यु तो मुमकिन नही रहेगा मुक़द्दर मे मेरे ,
तेरे लिए फना  हर बार हो जाना ,
वक़्त के साथ हाथ की लकीरे भी बदल जाया करती है ,
कल भला  मुक़द्दर मे मेरे ये रहे ना रहे ।

कहाँ होगी  पहचान हर किसी को तेरे अश्कों का ,
ये मोती है जिंदगी के ,
इन्हें यु ही ज़मी से मिला दिया नही करते है ,
कल भला  ये पहचान  मुझे भी रहे ना रहे ।

अपने खुशियों का आसियाना ,
हर किसी के कंधे पर बनाया नही करते है ,
एक वक़्त आने के बाद ,
लोगों के खुदा भी बदल जाया करते हैं ,
कल भला तुम्हें समझाने के लिए हम रहे ना रहे ।

नासमझ हम हर बार बन जाते है ,
भूल कर रीति रिवाज़ों को ,हर एक बंधनों को ,
अनजाने भी बढ़ा  कर कदम दिल से ,
गले लगा लिया करते हैं ऐसे दीवाने  को  ।
कल भला हम   नासमझ  रहे ना रहे ।

तुम्हारे  लिये इस जहान से ,
मेरा हर बार लड़ जाना  ,
मेरे बस मे ना होगा ,
जिंदा रहकर इस  जहान मे ,
वक़्त से कौन ना  हारा है,
कल हम भला लड़ने के लिये रहे ना रहे ।

Thursday 24 March 2016

काश ऐसा हो जाये ....

मुमकिन है हमे भी जिंदगी से मोहब्बत हो जाये ,
सर्त बस इतनी सी है  की,
तस्वीरों के रंग हक़ीक़त मे कभी  बिखर जाये ।

जादू  कुछ हमारे  इश्क़ का ऐसा हो की ,
आप  जुबां से कुछ भी  ना कहे और
हम नजर से  होकर  आपके दिल में उतर जाये ।

दूर जाने का कोई गम ना होगा ,
ख्वाहिस बस इतनी सी है की  ,
जब भी देखूँ मैं चाँद को ,
चेहरा उसमे भी आपका  नजर आये।

खुदा की कुछ ऐसी रहमत हो हम पर ,
नमाज में सर मैं झुकाया करु और
दुआ आपके दिल की   कबूल हो जाये ।

जो मिला नही कभी हक़ीक़त मे मुझे और
जो चाहत भर सी हर बार रह गयी ,
खुशियाँ  ऐसे सपनों की ,
काश  तेरे संग मेरी  जिंदगी मे कभी उभर आये।

Monday 14 March 2016

अगर यही मोहब्बत है तो ....

जिसके ख्याल आने भर से आँखो मे चमक और चेहरे पर एक मासूम सी मुस्कान आ जाये ,

जिसके साथ होने भर से ,जहान पहले से और खूबसूरत हर बार हो जाये ,

जिसके आँशुओं पर इस  जहान की ,हर चीज लूटा देने को दिल चाहे ,

जिसके  ख़ुशी के  लिए ,हजार गम भी सहना कम सा लगने लग जाये ,

अगर यही मोहब्बत है तो ,

हाँ मुझे मोहब्बत है ,

मुझे सिर्फ तुमसे मोहब्बत है ।

सिर्फ तुमसे मोहब्बत है ।।

और जिसका जादू कुछ इस  तरह हो की, हर किसी मे बस उसका ही चेहरा नजर आये ,

जिसे पाने के बाद खुदा भी कम सा लगने लग जाये ,

मिल जाने पर , सदियों तक जिंदा रह जाने का दिल हर बार चाहे ,

खुशि इतनी मिले की , गम से  कोई शिकायत ना रहे  और पत्थर मे भी खुदा नजर आने लग  जाये ,

अगर यही मोहब्बत है तो ,

हां मुझे मोहब्बत है ,

मुझे सिर्फ तुमसे मोहब्बत है ।

सिर्फ तुमसे मोहब्बत है .......

Monday 7 March 2016

एक आखिरी बार

कहा खिलता है रंग मेरी खुशियों का किसी के साथ अब,
बस एक आखिरी बार फिर से उन्हें खिलाने  आ जा ।

कभी सो जाया करता था तेरी यादों के सहारे मैं तो , वक़्त ने धूमिल अब उन्हें भी कर दिया,
फिर से उन्हें मेरे दिल मे गुन गुनाने ही आ जा ।

अब तो परछाई भी मिलती नहीं खोजने से मुझे,
कहीं खो ना दूँ मैं खुद को ,
मुझको खुद से अब बचाने  आ जा ।

यूँ तो पलों को गुजरने में सदियों सा वक़्त लगता है अब, 
ठहर गए है कुछ पल मेरी जिंदगी के  तेरे जाने के बाद ,
अब एक आखिरी बार उनको चलाने ही आ जा ।

क्यों समझ में नहीं आती है जिंदगी मुझको ,
उलझ जाता हूँ हर बार समझने मे इसको ,
अब इस जिंदगी को फिर से सुलझाने आ जा ।

आज भी उसी मोड़ पर ठहरा हूँ मैं 
जहां से तुम छोड़ कर आगे बढ़ गए थे कभी ,
एक आखिरी बार मुझे फिर से गले लगाने ही आ जा ।

छोड़ दिया मैंने खुदा से दुआ मांगना अब तो ,
बैठा है रूठ कर ना जाने क्यों वो मुझसे,
अब तो उसे मनाने  ही आ जा ।

आ गया आखिरी पल जिंदगी का अब तो ,और
ख़तम हुआ अब दौर गिलों शिकवों का ,
मेरी आखिरी ख्वाहिश के बहाने आ जा ।

कुछ जाना ही नहीं तेरे सिवा इस जहान में मैंने कभी ,
कंधा तो कोई भी दे देगा मेरे जनाजे को ,
बस एक आखिरी बार आँसू बहाने ही आ जा।

Saturday 5 March 2016

उलझन


ये राह-ए-ज़िंदगी इतनी उलझी सी क्यों है , मैं हर बार   शूरू करता  हूँ चलना और हर बार खो जाता  हूँ ।

क्या पूँछू मैं ज़िन्दगी पता तेरा, ना जाने क्यों मैं पा कर भी तुमको, खोजने हर बार निकल जाता हूँ ।

ऐ ज़िन्दगी कभी पाया था मैंने भी खुदा को तेरी राहों में, मगर संभाल लेता मैं अपने खुदा को ,इतना हुनर कहाँ जानता हूँ।

क्या विडंबना है  ऐ मेरी किस्मत ,थी उम्मीद जिनसे वफ़ा की ,बेवफ़ाई वो और वफ़ा करना सिर्फ मैं जानता  हूँ।

कभी  ज़िन्दगी के  लिये मैं पूरे जहान  से लड़ गया था ,
आज हर बार दुआ में ,लिए हाथ मे कफन , मौत मैं माँगता हूँ ।

वक़्त का खेल

तुम बिछड़ जाओगे मिलकर,  इस बात में कोई शक़ ना  था ! मगर भुलाने में उम्र गुजर जाएग, ये मालूम ना  था !!