बिखर कर फिर से संभल जाना हर किसी के नसीब मे कहाँ होता है,
हो साथ अगर मेरे खुदा का तो ,फिर कोई हालात मुश्किल कहाँ होता है ।
हार कर हार ना मानना और गिर कर उठ जाना ,हर बार आसान कहाँ होता है ,
हो अगर माँ की दुआ साथ में तो , हार से जीत जाना नामुमकिन कहाँ होता है ।
बन के लहरे जब भी तूफान आये तो ,कस्ती से पार कर जाना आसान कहाँ होता है ,
हो अगर दिल मे चाहत कुछ कर गुजरने की तो ,तूफान को चिर जाना मुश्किल कहाँ होता है ।
किसी को खुदा बना लेना और किसी का खुदा बन जाना ये हर बार कहाँ होता है ,
हो अगर दिल मे मोहब्बत बेसुमार तो ,खोकर इश्क़ को पाना नामुमकिन कहाँ होता है ।
हर आँशु को पहचान मिल जाये,ये हर बार पलकों के बस में कहाँ होता है ,
जिंदगी में इतने वर्षों के बाद , राज को दिल में दफना लेना अब मुश्किल कहाँ होता है ।
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