Tuesday 5 April 2016

क्यों बाकी है ...

तेरे मेरे  बीच कुछ ना हो कर भी ,
ये एक विस्वास सा क्यों बाकी  है ।

जीना मुमकिन ना था ना तेरे बिना ,
फिर मरने के बाद ,
ये कुछ सांस सी क्यों बाकी है।

छोर दिया साथ ,
अब तो आँशु की आखिरी बूँद ने ,
फिर मिलने के बाद,
रोने की एक आस सी क्यों बाकी है।

तेरे मेरे  बीच कुछ ना हो कर भी ,
ये एक विस्वास सा क्यों बाकी  है ।

तुमसे मिलना अब मुमकिन ना होगा  ,
फिर मेरे दिल मे ,
तुम्हें पाने की एक प्यास सी क्यों बाकी है ।

हर कोशिस कर ली,
तुम्हें दिल की दीवारों से मिटा देने की ,
फिर  वर्षों बाद भी ,
यादें धुँधली ही सही ,
इतनी ख़ास सी क्यों बाकी है ।

तेरे मेरे  बीच कुछ ना हो कर भी ,
ये एक विस्वास सा क्यों बाकी  है ।

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