कोई कैसे करे मोहब्बत जिंदगी तेरे उलझनों से ,
इतने कष्टों को झेल जाने के बाद ।
मैं हर बार कस्तीयां बनाता अपने मुक्क़दर का ,
डूब जाता तेरे सागर मे तूफान आने के बाद ।
हार कर ही सही , लड़खड़ा कर मैं चल तो पड़ा था ,
मैं प्यास से तड़प जाता राहों मे तेरे ,
फिर से सूरज छा जाने के बाद ।
कोई कैसे करे मोहब्बत जिंदगी तेरे उलझनों से ,
इतने कष्टों को झेल जाने के बाद ।
अपनों की ही महफ़िल मे अपने नहीं मिलते,
मैं खुद ही पोछता हूँ आंशुओं को अपने ,
अब हर बार तन्हां रो जाने जाने के बाद ।
मंजिल धुँधली सी और हो गयी ,
मुश्किलें जो आसां थी मुश्किल सी और हो गयी ,
जिंदगी मे बार बार ठोकर खा जाने के बाद ।
कोई कैसे करे मोहब्बत जिंदगी तेरे उलझनों से ,
इतने कष्टों को झेल जाने के बाद ।
कोई मेरी मोहब्बत का इम्तिहान क्या लेगा ,
दो पल मे क्या, सदियों मे जान क्या लेगा ,
मैं आसामा छु देता था उनके साथ हो जाने के बाद ।
गलत ना तुम थे गलत ना हम थे ,
वक़्त के गुनाहों को झेल रहे हम,
एक दूसरे से अलग हो जाने के बाद ।
कोई कैसे करे मोहब्बत जिंदगी तेरे उलझनों से ,
इतने कष्टों को झेल जाने के बाद।
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