Friday 30 December 2016

अनकहा

खुद अश्को के सागर में बह न जाऊं कहीं , आज मैं भी रो लेता हूँ ।
जो कभी जुबान से मैं ना कह पाया,वो आशुओं से कह देता हूँ ।

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वक़्त का खेल

तुम बिछड़ जाओगे मिलकर,  इस बात में कोई शक़ ना था ! मगर भुलाने में उम्र गुजर जाएग, ये मालूम ना था !!