जिनको हक़ है मेरे जान पर,यु ही दुआ में नासमझ वो, सिर्फ मेरी एक नजर मांग लेत हैं ।
उनको तो खुदा मान बैठा हूँ कब से, नहीं सोचता एक पल भी ,अगर वो कभी मुझसे जिगर मांग लेते हैं।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
वक़्त का खेल
तुम बिछड़ जाओगे मिलकर, इस बात में कोई शक़ ना था ! मगर भुलाने में उम्र गुजर जाएग, ये मालूम ना था !!
-
तेरे चरणों को छूकर , यूँ तुझसे लिपट कर , इतने वर्षों के बाद भी मैं, फिर से बच्चा बन जाता हूँ माँ। तेरे आँचल की छाया पा कर , तेरे गोद की...
-
इतनी मोहब्बत करूँगा ए मोहब्बत तुझे ,की खुद को खुदा समझ बैठोगी । अगर वफ़ा कर नही पायी तो मेरे वफ़ा को तुम अपनी सजा समझ बैठोगी ।
No comments:
Post a Comment