Wednesday 22 June 2016

काश ऐसा न होता ...

होती अगर तन की कीमत इस  संसार में ,
तो लाशो का यूँ ही बाजार लगा करता ।

काश ना हारा होता ,
मैं खुद को अपनों के ही बाजार में,
तो  आज तेरे नाम के साथ मेरा नाम जुड़ा करता ।

किसको ठहराता गलत और किसको सही कहता मैं ,
किससे करता प्यार  और किससे नफरतम करता मैं,

होती अगर ताकत ,
हालात को बस में करने की  मुझमें ,
तो आज खुद से नफरत नहीं ,मैं भी प्यार करता ।

होती अगर तन की कीमत  इस संसार में ,
तो लाशो का यूँ ही बाजार लगा करता ।

किससे हारता  और किससे जीत जाता मैं,
किसको अपनाता और किसको ठुकरता मैं,

काश मैं जान पाता अपनों मे अपनों को  ,
तो आज मैं तुमको छोड़ सबका त्रिस्कार करता ।

काश ना हारा होता,
मैं खुद को यूँ ही अपनों के बाजार में,
तो आज तेरे नाम के साथ मेरा नाम जुड़ा करता।

क्या पाया मैंने और क्या रह गया पाना बाक़ी,
क्या खोया मैंने और क्या रह गया खोना बाक़ी,

काश ना पड़ा होता इस खोने पाने में ,
तो दुनिया मे हर कोई आज मेरा जय जय कार करता ।

होती अगर तन की कीमत इस  संसार में ,
तो लाशो का यूँ ही बाजार लगा करता ।

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