Saturday 16 July 2016

तेरी समझ...

मेरे दिल की दीवार पर ,
जो पढ़ तुम नहीं पायी ,
वो मैं अब ज़ुबानी क्या बयां करूँ।

मेरे दिल की हालात  ,
तुमसे छुपा कब रहा ,
उसे अब एक कहानी से क्या बयां करूँ।

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वक़्त का खेल

तुम बिछड़ जाओगे मिलकर,  इस बात में कोई शक़ ना था ! मगर भुलाने में उम्र गुजर जाएग, ये मालूम ना था !!