वो माफ़ ना कर सके मुझे,जो मैंने मुड़ कर एक बार नहीं देखा ,
बस कुछ इस तरह मैंने ,अपने हजारों अश्क़ो को उनसे छुपा लिया ।
रोक नहीं पाया बिखरने से खुद को ,जब भी एक नजर उनको देखा ,
बस ना देख कर उनको ,खुद को आज तक बिखरने से बचा लिया ।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
वक़्त का खेल
तुम बिछड़ जाओगे मिलकर, इस बात में कोई शक़ ना था ! मगर भुलाने में उम्र गुजर जाएग, ये मालूम ना था !!
-
तेरे चरणों को छूकर , यूँ तुझसे लिपट कर , इतने वर्षों के बाद भी मैं, फिर से बच्चा बन जाता हूँ माँ। तेरे आँचल की छाया पा कर , तेरे गोद की...
-
इतनी मोहब्बत करूँगा ए मोहब्बत तुझे ,की खुद को खुदा समझ बैठोगी । अगर वफ़ा कर नही पायी तो मेरे वफ़ा को तुम अपनी सजा समझ बैठोगी ।
No comments:
Post a Comment