कुछ फासलों से मैं टूट कैसे जाता,
मेरी जिंदगी पर औरों का भी हक़ था।
मेरी जिंदगी पर औरों का भी हक़ था।
उन तूफानों से हार मैं कैसे जाता,
जिंसके होने पर ही मुझको शक था ।
तुम बिछड़ जाओगे मिलकर, इस बात में कोई शक़ ना था ! मगर भुलाने में उम्र गुजर जाएग, ये मालूम ना था !!
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