Ishq Mohabbat Love
Tuesday 12 May 2020
वो आख़िरी साँस
एक उम्र यहाँ गुज़र सी गयी,
जिंदा रहते हुए मुझे।
सिर्फ वो आख़िरी साँस जिंदगी की,
जीना सीखा गई ग़ालिब।
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
वक़्त का खेल
तुम बिछड़ जाओगे मिलकर, इस बात में कोई शक़ ना था ! मगर भुलाने में उम्र गुजर जाएग, ये मालूम ना था !!
बदलता वक़्त
बदलता वक़्त है, ये मालुम है मुझे। ...
माँ
तेरे चरणों को छूकर , यूँ तुझसे लिपट कर , इतने वर्षों के बाद भी मैं, फिर से बच्चा बन जाता हूँ माँ। तेरे आँचल की छाया पा कर , तेरे गोद की...
जुनून ...
इतनी मोहब्बत करूँगा ए मोहब्बत तुझे ,की खुद को खुदा समझ बैठोगी । अगर वफ़ा कर नही पायी तो मेरे वफ़ा को तुम अपनी सजा समझ बैठोगी ।
No comments:
Post a Comment