Tuesday 12 May 2020

वो आख़िरी साँस

एक उम्र यहाँ गुज़र सी गयी,
जिंदा रहते हुए मुझे।
सिर्फ वो आख़िरी साँस जिंदगी की,
जीना सीखा गई ग़ालिब।

No comments:

Post a Comment

वक़्त का खेल

तुम बिछड़ जाओगे मिलकर,  इस बात में कोई शक़ ना था ! मगर भुलाने में उम्र गुजर जाएग, ये मालूम ना था !!