Saturday 4 July 2020

एक उम्र

समझ ले वक़्त को कोई,
ये आसान तो नहीं ग़ालिब।
फ़क़त मरने के वास्ते,
उम्र गुजारता है यहाँ हर कोई।

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वक़्त का खेल

तुम बिछड़ जाओगे मिलकर,  इस बात में कोई शक़ ना था ! मगर भुलाने में उम्र गुजर जाएग, ये मालूम ना था !!