Thursday 1 June 2017

किस तरफ कोई जाए ..

कितना वक्त गुजर गया,
तुम कितने दूर आ गए  ,
फिर भी बीच राह में पीछे कही ,
यादों की खंडहर में ठहरे  हुए लगते हो ।
बीच साहिल में नाविक सा,
जिसका हर कोई  दो किनारों पर जा पहुँचा   ,
रिश्तों के इस भवँर में,
सिर्फ तुम ही खोये हुए लगते हो ।

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वक़्त का खेल

तुम बिछड़ जाओगे मिलकर,  इस बात में कोई शक़ ना  था ! मगर भुलाने में उम्र गुजर जाएग, ये मालूम ना  था !!