कोई मंदिर गया तो कोई मस्ज़िद,
मगर वो इंसान ना बन पाए ।
मैंने मोहब्बत की सिर्फ उनसे,
और ख़ुदा बन बैठा।
उपेन्द्र यादव
तुम बिछड़ जाओगे मिलकर, इस बात में कोई शक़ ना था ! मगर भुलाने में उम्र गुजर जाएग, ये मालूम ना था !!
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