Friday 24 November 2017

ये सही कैसे???

ये एक सफ़र है,
जिंदगी कुछ और नही है ,
किसी एक मोड़ पर ठहर जाना,
जिंदगी में सही कैसे?

तुम गलत नही  हो तो ,
मैं भी गलत नही हूँ ,
हर कोई आ गया इस मैं और तुम में,
फिर कोई और गलत कैसे?

हर रोज कुछ साँसे कम हो जाती है,
इस छोटी सी ज़िन्दगी में,
उसमे भी सही गलत का खेल खेलना, 
कोई बताये ये सही कैसे?

कोई दिल मे छुपा कर बैठा है,
तो कोई यादों में सजाकर बैठा है,
बिना बोले हर रोज तुम्हारा यू मरे जाना ,
तुम ही बोलो ये सही कैसे ?

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