Tuesday 1 March 2016

वक़्त

असर तो देख वक़्त का ग़ालिब ,
देखते देखते मासूम बचपन की हँसी ,
ना जाने कब  छोटी सी इक मुस्कान मे बदल जाती है ।।

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वक़्त का खेल

तुम बिछड़ जाओगे मिलकर,  इस बात में कोई शक़ ना था ! मगर भुलाने में उम्र गुजर जाएग, ये मालूम ना था !!