Friday 15 September 2017

वफ़ा

कभी वफ़ा समझ ना आये तो ,
साँसों से गुफ़्तगू में ही पूछ लेना ,
ये क्यों थम जाती हैं हर बार ,
जान जाने के बाद।

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वक़्त का खेल

तुम बिछड़ जाओगे मिलकर,  इस बात में कोई शक़ ना था ! मगर भुलाने में उम्र गुजर जाएग, ये मालूम ना था !!