Sunday 28 February 2016

चाँद की रोशनी

जिंदगी के  अंधेरे लम्हों में , चमकते चाँद की रोशनी सी  हो तुम ,
कभी खुदा तो , कभी सांसो से भी ज्यादा जरूरी सी हो तुम ।

जिंदा भी रहता और खुशी खुशी जी भी लेता तेरे बिन ,
मगर क्या करु ,मैं सिर्फ इक मुस्कान हूँ और उसकी सूरत सी हो तुम ।।

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वक़्त का खेल

तुम बिछड़ जाओगे मिलकर,  इस बात में कोई शक़ ना  था ! मगर भुलाने में उम्र गुजर जाएग, ये मालूम ना  था !!