अपने ग़मो को छुपा कर रख लिया था दिल के कोने मे कहीँ ।
ना जाने क्यों, अक्सर यह उभर आता है तुमसे मिलने के बाद ।।
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वक़्त का खेल
तुम बिछड़ जाओगे मिलकर, इस बात में कोई शक़ ना था ! मगर भुलाने में उम्र गुजर जाएग, ये मालूम ना था !!
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तेरे चरणों को छूकर , यूँ तुझसे लिपट कर , इतने वर्षों के बाद भी मैं, फिर से बच्चा बन जाता हूँ माँ। तेरे आँचल की छाया पा कर , तेरे गोद की...
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कितना वक्त गुजर गया, तुम कितने दूर आ गए , फिर भी बीच राह में पीछे कही , यादों की खंडहर में ठहरे हुए लगते हो । बीच साहिल में नाविक सा, ...
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